पितृ पक्ष का महत्व हर साल पितृ पक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन माह की अमावस्या तक चलता है। इस वर्ष पितृ पक्ष की अवधि 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक है। पितृ पक्ष को पितरों को मुक्ति दिलाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस अवधि में पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त किया जा सकता है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। पितृ पक्ष का महत्व: सनातन धर्म में पितृ पक्ष की अवधि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवधि के दौरान, लोग अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए उनके लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध अनुष्ठान करते हैं। इस दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पितृ पक्ष केवल 15 दिनों का ही क्यों मनाया जाता है? आइये जानते हैं यह कितना महत्वपूर्ण है।

पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। यह काल हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का भी एक तरीका है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान तर्पण, श्राद्ध कर्म और पिंडदान कर्म करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती थी। इसके अलावा, यह अवधि पितृ दोष से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।  

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस भी व्यक्ति के परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित, बच्चा हो या बुजुर्ग, पुरुष हो या महिला, वह पूर्वज कहलाता है। मृत्यु के बाद यमराज मृतक की आत्मा को 15 दिनों के लिए छोड़ देते हैं ताकि वह अपने परिवार के पास जाकर तपन प्राप्त कर सके।

15 दिनों के बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन पितर अपने-अपने अंशों के साथ स्वर्ग लौट जाते हैं। इसीलिए पितृ पक्ष का चक्र भी 15 दिनों का माना जाता है।

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