कोविड-19 टीकाकरण भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बताया है कि भारतीय शोधकर्ताओं को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि कोविड-19 टीकाकरण से मृत्यु होती है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच 18 से 45 साल के लोगों की मौत पर एक अध्ययन किया।

रॉयटर्स, नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के प्रकोप ने हजारों लोगों की जान ले ली है, जिससे लोगों को वायरस से खुद को बचाने के लिए टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया गया है। जबकि कहा जाता है कि कोरोनोवायरस वैक्सीन प्राप्त करने के बाद कुछ लोगों की मृत्यु हो गई, इस मामले पर रिपोर्ट अब सामने आई है।

अध्ययन से पता चला मौतों के पीछे के कारण

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बताया कि भारतीय शोधकर्ताओं को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि कोविड-19 टीकाकरण के कारण मौतें हुईं। शोध में कहा गया कि उनकी मौत धूम्रपान, अत्यधिक शराब के सेवन, नशीली दवाओं और नशीले पदार्थों के कारण हुई होगी।

आईसीएमआर ने यह अध्ययन पूरा कर लिया है

दरअसल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच 18 से 45 साल के लोगों की मौत पर एक अध्ययन किया। विश्लेषण में लगभग 729 मामले और 2,916 नियंत्रण शामिल थे।

कोविड-19 टीकाकरण से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं मिला

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि इन मौतों के पीछे कोविड-19 टीकाकरण से जुड़े होने का कोई सबूत नहीं मिला। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 टीकाकरण से देश में युवा लोगों में अचानक, अस्पष्ट मौत का खतरा नहीं बढ़ता है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े?

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 45 मिलियन सीओवीआईडी ​​​​-19 संक्रमण और 533,295 मौतें हुई हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक संख्या कई गुना अधिक है। COVID-19 संकट के दौरान, भारत के कई अस्पताल बिस्तरों की कमी का सामना कर रहे हैं और कई लोग घर पर ही मर रहे हैं।