कावेरी जल विवाद पर कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने कहा, मैं तमिलनाडु से सांसद हूं. इसलिए मैं तमिलनाडु की मांगों पर दबाव बना सकता हूं।' कर्नाटक के सांसद अपनी मांगों पर जोर देंगे, लेकिन इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए एक समिति है और दोनों राज्यों को समिति के निर्णय के आधार पर कार्य करना होगा। आपको बता दें कि कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है।

एएनआई, शिवगनई (तमिलनाडु)। कावेरी जल विवाद: पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद पी. चिदंबरम ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए एक समिति थी और दोनों राज्यों को समिति के निर्णय के अनुसार काम करना था।

"दोनों राज्यों को समिति के फैसले का पालन करना होगा"

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पी चिदंबरम ने कहा कि मैं तमिलनाडु से सांसद हूं। इसलिए मैं तमिलनाडु की मांगों पर दबाव डाल सकता हूं। कर्नाटक के सांसद कर्नाटक की मांगों पर दबाव डालेंगे, लेकिन इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए एक आयोग है, जिसके फैसले पर दोनों राज्यों को कार्य करना होगा।

क्या है मामला?

गौरतलब है कि कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच विवाद चल रहा है। नदी को दोनों राज्यों के लोगों के लिए जीविका का प्रमुख स्रोत माना जाता है। सीडब्ल्यूआरसी ने कर्नाटक को 28 सितंबर से 15 अक्टूबर तक तीन हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देने का आदेश दिया था। इससे पहले, छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा पांच हजार क्यूसेक थी।

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच आरोप-प्रत्यारोप

एएनआई के मुताबिक, कर्नाटक ने तमिलनाडु को नदी का पानी देने से मना कर दिया है। उसने इसके पीछे अपने राज्य के कुछ हिस्सों में आए सूखा का हवाला दिया है। वहीं, तमिलनाडु का आरोप है कि कर्नाटक सरकार झूठ बोल रही है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी कर्नाटक सरकार

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एम सिद्दरमैया का कहना है कि राज्य सरकार कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और सुप्रीम कोर्ट के सामने एक याचिका दायर करेगी, क्योंकि हमारे पास पानी नहीं है। इसलिए वह तमिलनाडु को पानी नहीं जारी कर सकती।

कर्नाटक के किसान कर रहे विरोध प्रदर्शन

सीडब्ल्यूएमए ने कर्नाटक को 13 सितंबर से 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को पांच हजार क्यूसेक पानी देने का आदेश दिया था, जिसके बाद से कर्नाटक के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने भी मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।