मुंबई बैठक के बाद विपक्षी गठबंधन इंडिया की राजनीतिक सक्रियता धीमी पड़ती दिख रही है. भारत में कुछ पार्टियों के बीच खींचतान चल रही है जिसके कारण विपक्षी नेताओं की अगली बैठक और रैली की तारीखें तय नहीं हो पा रही हैं. विपक्षी दलों की मुंबई बैठक के दौरान गांधी जयंती के मौके पर भारत की ओर से एक विशेष कार्यक्रम आयोजित करने पर सहमति बनी.

संजय मिश्र, नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए (I.N.D.I.A) की सियासी सक्रियता मुंबई बैठक के बाद फिलहाल धीमी पड़ती नजर आ रही है। आइएनडीआइए में शामिल कुछ दलों के बीच चल रही आपसी खींचतान है जिसके कारण विपक्षी नेताओं की अगली बैठक से लेकर रैली की तारीखें तय नहीं हो पा रही हैं। इसी वजह से महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर दो अक्टूबर को आइएनडीआइए के दलों की ओर से एक साझा कार्यक्रम करने की घोषणा भी सिरे नहीं चढ़ पायी।

विपक्षी दलों के नेताओं की मुंबई बैठक के दौरान गांधी जयंती के मौके पर आइएनडीआइए की ओर से विशेष कार्यक्रम करने पर सहमति बनी थी।

कब होगी विपक्ष की पहली संयुक्त रैली?

आइएनडीआइए में शामिल दलों के नेताओं ने बैठक के बाद साझा कार्यक्रमों और रैलियों पर सहमत होने की बात कहते हुए दो अक्टूबर को विशेष आयोजन की रूपरेखा बनाने का भी उल्लेख किया, लेकिन भोपाल में प्रस्तावित रैली के टलने के बाद आइएनडीआइए की अन्य सियासी गतिविधियां भी थम गई हैं।

सनातन विवाद की पृष्ठभूमि में मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने चुनावी व्यस्तता का हवाला देकर 15 सितंबर को आइएनडीआइए की रैली की मेजबानी करने में असमर्थता जता दी थी। इसके बाद अभी तक विपक्ष की पहली संयुक्त रैली की नई जगह और तारीख तय नहीं हो पायी है।

कब होगी सीट बंटवारे पर चर्चा?

लोकसभा चुनाव के सीट बंटवारे की चर्चा को गति देने पर भी मुंबई में सभी पार्टियों ने हामी भरी थी, मगर हकीकत में अभी शुरूआती बातचीत के लिए वे एक दूसरे के रूख का इंतजार कर रहे हैं। इस दरम्यान पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के बीच जारी सियासी लड़ाई दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे पर सहमत होने का रास्ता बंद करने की ओर है।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का विदेश दौरे से लौटीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर किया गया प्रहार तृणमूल कांग्रेस को असहज कर गया है। आइएनडीआइए के मजबूत स्तंभों में गिने जाने वाले बिहार के प्रमुख दल राजद और जदयू के नेताओं के बीच जातीय स्वाभिमान को लेकर बवाल मचा है।

मनोज झा के बयान से मचा बवाल

राज्यसभा में राजद सांसद मनोझ झा के बयान से मचे इस विवाद को थामने के लिए लालू प्रसाद यादव को अपनी ऊर्जा लगानी पड़ रही है।

वहीं, शरद पवार अपनी राजनीतिक पार्टी एनसीपी को भतीजे अजीत पवार के कब्जे से बचाने के लिए संघर्षरत हैं तो छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव में सत्ता की बेहतर उम्मीद देख कांग्रेस का पूरा फोकस पांच राज्यों के चुनाव पर है। ऐसे में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने तक आइएनडीआइए की सियासी सक्रियता की रफ्तार में बहुत इजाफा होगा इसकी संभावना कम ही दिख रही है।

हालांकि, विपक्षी गठबंधन की सक्रियता दिखाई नहीं पड़ने से जुड़े सवाल से असहमति जताते हुए कांग्रेस की सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने शुक्रवार को कहा था कि एक शहर में समूह के रूप में आकर बात करना ही सब कुछ नहीं है। कांफ्रेंस काल, जूम कॉल और फोन पर बहुत सारी बाते होती हैं जिन्हें मीडिया में बताना जरूरी नहीं और जब पुख्ता चीजें तय होंगी तो इसे साझा किया जाएगा।