खिलाड़ियों की मौज! अब रेड मैजिक 9 प्रो स्मार्टफोन की भारत में भी होगी शिपिंग, यहां जानें जरूरी डिटेल्स
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Blood Transmitted Diseases Blood Transmitted Diseasesज़नक़ वायरस या बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव होते हैं जो रक्त में रहते हैं और रक्त-आधान के माध्यम से मनुष्यों में रोग पैदा कर सकते हैं। कई रक्तजनित रोगजनक हैं, जिनमें मलेरिया, सिफलिस, ब्रुसेलोसिस, विशेष रूप से हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और मानव इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी के रूप में भी जाना जाता है) शामिल हैं।
Blood Transmitted Diseases Blood Transmitted Diseasesज़नक़ वायरस या बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव होते हैं जो रक्त में रहते हैं और रक्त-आधान के माध्यम से मनुष्यों में रोग पैदा कर सकते हैं। मलेरिया, सिफलिस, ब्रुसेलोसिस, विशेष रूप से हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और मानव इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (जिसे एचआईवी भी कहा जाता है) सहित कई रक्तजनित रोगजनक हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Blood Transmitted Diseases: दुनिया भर में कई लोग खून की कमी या अत्यधिक रक्तस्राव के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और रक्त कैंसर के रोगियों के लिए, जीवित रहने के लिए रक्त संक्रमण बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे रोगियों को हर कुछ दिनों में रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है, जिसके लिए वे दान किए गए रक्त पर निर्भर रहते हैं। इसीलिए रक्तदान को महारक्तदान कहा जाता है। हालाँकि, रक्त-जनित बीमारियाँ भारत में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती खड़ी करती हैं, जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं। रक्त आधान से एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। ठीक होने के लिए मरीजों का समय पर इलाज शुरू करना जरूरी है।
ट्रांसफ्यूजन से संबंधित बीमारियों पर आंतरिक नजर डालने के लिए, जागरण ने फोर्टिस मेमोरियल इंस्टीट्यूट, गुड़गांव की संक्रामक रोग सलाहकार डॉ. नेहा रस्तोगी पांडा और थैलेसीमिया पेशेंट एडवोकेसी ग्रुप की सदस्य सचिव अनुभा तनेजा से बात की।
डॉ. नेहा ने बताया कि ब्लड चढ़ाते समय हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी और एचआईवी जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अगर मरीज खून से जुड़े डिसऑर्डर जैसे थैलासीमिया से पीड़ित है, तो खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है, जिन्हें नियमित रूप से खून चढ़वाना पड़ता है। मरीज़ों के स्तर पर इस मामले में कम जानकारी और सार्वजनिक स्तर पर भी इस विषय में जागरूकता का अभाव सुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूज़न सुनिश्चित करने की राह में बड़ी बाधा है। भारत में, ब्लड ट्रांसफ्यूज़न सेवाएं काफी खंडित हैं, जिनके चलते यहां स्क्रीनिंग और टेस्टिंग की क्वालिटी में काफी अंतर है। बहुत से ब्लड बैंकों में जरूरी स्क्रीनिंग टैक्नोलॉजी भी उपलब्ध नहीं हैं, जो डोनेट किए गए ब्लड की सुरक्षा की गारंटी दे सकें।