Haryana में पब्लिक स्कूलों के लिए केंद्र सरकार द्वारा नामित राष्ट्रीय फिटनेस निगम (एनएफटी) को राज्य सरकार ने NFT शिक्षकों का दर्जा दिया है, जिससे वे अपने कर्मचारी बन गए हैं। हालाँकि, चार श्रेणियों में से, केवल 1 जुलाई 1976 और 1 जनवरी 1996 के बीच नियुक्त श्रेणी I NFT को संशोधित वेतनमान मिलेगा। ये व्यक्ति राज्य सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं लेकिन केंद्र के कर्मचारी हैं।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। सरकारी स्कूलों के लिए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए नेशनल फिटनेस कार्प (एनएफटी), जिन्हें प्रदेश सरकार ने अपना कर्मचारी बनाते हुए पीटीआइ शिक्षकों का दर्जा दिया था, उन्हें संशोधित वेतनमान का लाभ मिलेगा। वर्ष 1976 में केंद्र सरकार से Haryana सरकार के कर्मचारी बने पीटीआइ को एरियर सहित संशोधित वेतनमान दिया जाएगा। मौलिक शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया है।

हालाँकि, चार श्रेणियों में से, केवल 1 जुलाई 1976 और 1 जनवरी 1996 के बीच नियुक्त श्रेणी I NFT संशोधित वेतनमान के हकदार हैं। जिन NFT नियुक्तियों को 2013 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था और जो 2020 में नियमित कर्मचारी के रूप में नए नियुक्त हुए थे, उन्हें संशोधित वेतनमान नहीं मिलेगा। जो कर्मचारी बर्खास्तगी आदेश के बाद दोबारा नियमित कर्मचारी के रूप में नियुक्त नहीं हो सकेंगे, उन्हें भी यह लाभ नहीं मिल सकेगा।

इसके अलावा 2020/2023 के कोर्ट आदेश के बाद नवनियुक्त NFT भी संशोधित वेतनमान से वंचित रहेंगे। दरअसल, 1967 में केंद्र सरकार ने नेशनल फिटनेस कॉर्पोरेशन की प्रशासनिक शक्ति राज्य सरकारों को सौंप दी थी। 1976 में, सभी राज्य सरकारों ने इन शिक्षकों को राज्य सरकार के कर्मचारियों का दर्जा दिया, जिन्हें NFT के नाम से जाना जाता है।

1967 से 1976 के बीच की अवधि में वेतन रिवाइज न होने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा जिसके बाद सर्वोच्च अदालत ने इन कर्मियों के पक्ष में फैसला दिया। Haryana सरकार के कर्मियों ने भी दावा किया था कि 1967 से 1976 के बीच उनका वेतन रिवाइज किया जाना चाहिए था जो केंद्र ने इस वजह से नहीं किया कि राज्य सरकारें उन्हें अपना कर्मचारी बनाने जा रही थीे। भले ही वे राज्य सरकारों के प्रशासनिक नियंत्रण में थे लेकिन केंद्र के कर्मचारी थे।

हाई कोर्ट ने इस मामले में कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाते हुए वर्ष 2007 में वेतन रिवाइज करने का आदेश दिया था। कई सालों तक आदेश का पालन न होने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई। अब जाकर हाई कोर्ट के आदेश को अमलीजामा पहनाया जाएगा।