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पंचांग आज 17 नवंबर 2023 चार दिवसीय छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया गया. तो आज नहाय खाय. इस दिन, भक्त पवित्र नदियों और झीलों में स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद चावल, दाल और लौकी की सब्जी खाएं. नहाय खाय पर भद्रवास योग बन रहा है.
पंचांग आज 17 नवंबर 2023 चार दिवसीय छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया गया. तो आज नहाय खाय. इस दिन, भक्त पवित्र नदियों और झीलों में स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद चावल, दाल और लौकी की सब्जी खाएं. नहाय खाय पर भद्रवास योग बन रहा है.
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। पंचांग आज 17 नवंबर 2023: सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। छठ पूजा बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल समेत देश और दुनिया के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाई जाती है। चार दिवसीय पूजा के पहले दिन नहाय खाय का आयोजन किया गया. अगले दिन कर्ण समारोह आयोजित किया जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक छठ पूजा पर दुर्लभ भाद्रवास योग बन रहा है. आइए जानते हैं पंडित हर्षित जी आज का पंचांग और राहुकाल समय-
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि सुबह 11.03 बजे समाप्त हो रही है। उसके बाद पंचमी तिथि आती है। बव करण का निर्माण नहाय खाय के दिन हुआ था. यह संयोग सुबह 11:03 बजे बनना शुरू हुआ। इस दिन भद्रवास योग का दुर्लभ संयोग भी बनता है। भाद्रवास योग का समापन समय प्रातः 11.51 बजे है। ज्योतिषियों के अनुसार, भाद्रव योग पृथ्वी के सभी निवासियों को लाभ पहुंचाता है। इस दौरान सूर्य देव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
सूर्योदय – प्रातः 06:45 बजे
सूर्यास्त- 17:27 बजे
चंद्रोदय – प्रातः 10.40 बजे
चन्द्रास्त – रात्रि 08:52 बजे
ब्रह्म मुहूर्त- शाम 04:59 बजे से शाम 05:52 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 01:53 बजे से 02:36 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:57 बजे से शाम 05:53 बजे तक
निशिता मुहूर्त – दोपहर 11:40 से 12:33 बजे तक
राहु काल- सुबह 10.46 बजे से 12.06 बजे तक
गुलिक कैर – सुबह 08:05 बजे से सुबह 09:25 बजे तक
अशुभ घड़ी- प्रातः 08:53 बजे से प्रातः 09:36 बजे तक
कंटक – दोपहर 01:10 बजे से 01:52 बजे तक
यमघंट- शाम 04:01 बजे से शाम 04:44 बजे तक
कुलिक- 08:53 AM से 09:36 AM तक
कालवेला या अर्धयाम- दोपहर 02:35 बजे से 03:18 बजे तक
यमगंड- दोपहर 02:46 बजे से शाम 04:06 बजे तक
दिशा स्कूल – उत्तर
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगसिरा, पुनर्वसु, अश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चंद्र शक्ति
मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन
अस्वीकरण: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की कोई गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/आस्थाओं/धार्मिक ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आपके समक्ष प्रस्तुत की गयी हैं। हमारा उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है और उपयोगकर्ताओं को इसे पूरी तरह से सूचनात्मक मानना चाहिए। इसके अलावा, किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी उपयोगकर्ता की रहेगी।