Uttarkashi Tunnel Rescue News: सिल्क्यारा सुरंग में 41 घंटे की लड़ाई के बाद 400 मरे, मजदूरों ने ली खुली हवा में सांस

लोहरदगा में एक ही परिवार के 13 सदस्य ईसाई धर्म छोड़कर अपने आदिवासी धर्म में लौट आये. उन्होंने कहा कि वह अंधविश्वास के कारण इस रास्ते पर आए थे, लेकिन अब वह बौद्ध धर्म में वापस आकर खुश हैं।
लोहरदगा में एक ही परिवार के 13 सदस्य ईसाई धर्म छोड़कर अपने आदिवासी धर्म में लौट आये. उन्होंने कहा कि वह अंधविश्वास के कारण इस रास्ते पर आए थे, लेकिन अब वह बौद्ध धर्म में वापस आकर खुश हैं।
राकेश सिन्हा, सेन्हा (लोहरदगा)। लोहरदगा जिला क्षेत्र के सेन्हा प्रखंड क्षेत्र के मुर्की तोड़ार पंचायत के तोड़ार मैना टोली में एक ही परिवार के 13 सदस्य ईसाई धर्म का त्याग कर सरना धर्म में वापस लौटे हैं। इन सभी सदस्यों ने 12 पड़हा बेल के नेतृत्व में घर वापसी की है। सभी ने 12 पड़हा के समक्ष सरना धर्म में वापसी करने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद बुधवार की शाम सभी की सरना रीति-रिवाज से सरना धर्म में वापसी कराई गई। सरना धर्म में वापस लौटने के बाद सभी ने कहा कि वह अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर ईसाई धर्म में वर्ष 2012 में शामिल हो गए थे। उनसे भूल हो गई थी। उनका सरना धर्म ही बेहतर है।
ईसाई धर्म से वापस सरना धर्म में घर वापसी करने वाले परिवार के सदस्य राजेश खलखो ने कहा कि उनका परिवार हमेशा बीमार रहता था। लोग उनके परिवार से दूरी बना रहे थे। परेशानी को लेकर उनका परिवार झाड़-फूंक कराने गया तो हेसवे गांव के ईसाई समुदाय के लोगों ने कहा कि इस समस्या से मुक्ति चाहिए तो पादरी के पास जाना होगा। इसके बाद उनके घर में वर्ष 2012 में पादरी आए थे।
पादरी ने बहका कर उनसे ईसाई धर्म कबूल करा लिया। परेशानियों से तंग आ कर उनका परिवार आदिवासी धर्म को छोड़ कर ईसाई धर्म मानने लगा था, परंतु उनके घर में 11 साल में भी कोई परेशानी कम नहीं हुई। ऐसे में लगा कि उनका अपना पुराना सरना धर्म ही बेहतर है। जिसके बाद घर वापसी का प्रस्ताव 12 पड़हा बेल के समक्ष रखा था।
बुधवार को सरना रीति-रिवाज से सभी की घर वापसी कराई गई। ईसाई धर्म छोड़ कर वापस सरना धर्म में लौटने वालों में राजेश खलखो, सुखराम उरांव, सरिता खलखो, सुरजी उरांव, हीरा खलखो, मिनी खलखो, चंद्रदेव खलखो, राजू खलखो, सोनाली खलखो, अमन खलखो, सचिन खलखो, प्रीति खलखो शामिल हैं। सरना धर्म में घर वापसी करने वाले सुखराम उरांव ने कहा कि वह अंधविश्वास में पड़ कर भटक गए थे।
सरना समाज के पड़हा बेल दीपेश्वर भगत ने कहा कि गांव में ही पाहन-पूजार द्वारा आदिवासी रीति-रिवाज से अनुष्ठान करा कर एक ही परिवार के 13 सदस्यों को उसकी इच्छा से सरना समाज में शामिल किया गया है। वहीं ईसाई धर्म को छोड़ पुनः घर वापसी पर उन सभी परिवार के सदस्यों ने कहा कि आदिवासी धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है। किसी के बहकावे में या कोई लालच में अब दूसरे धर्म को नहीं जाएंगे। मौके पर बुधराम उरांव, तुलसी उरांव, बोलवा उरांव, मंगरा उरांव, बुधमन उरांव, सोमरा उरांव, विश्वनाथ भगत आदि मौजूद थे।
ये भी पढ़ें- महिला को राजस्थान ले जाकर 35000 में बेचा, फोन पर बताई आपबीती तो मारा-मारा फिर रहा पति; नौकरी का दिया था झांसा
आशीर्वाद अपार्टमेंट अग्निकांड मामले में कोर्ट में हुई पहली सुनवाई, 2 कमेटी गठित, हादसे के वजहों का होगा खुलासा