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रेलवे की योजना घरेलू जरूरतों के अनुरूप देश में 475 वंदे भारत ट्रेनें चलाने के बाद निर्यात करने की है। कुछ देशों ने इसमें रूचि दिखाई है। यूरोप दक्षिण अमेरिका व एशियाई देशों में निर्यात की योजना पर काम किया जा रहा है। वंदे भारत के पहले संस्करण की ट्रेन 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली-वाराणसी मार्ग पर चलाई गई थी। (जागरण फाइल फोटो)
रेलवे की योजना घरेलू जरूरतों के अनुरूप देश में 475 वंदे भारत ट्रेनें चलाने के बाद निर्यात करने की है। कुछ देशों ने इसमें रूचि दिखाई है। यूरोप दक्षिण अमेरिका व एशियाई देशों में निर्यात की योजना पर काम किया जा रहा है। वंदे भारत के पहले संस्करण की ट्रेन 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली-वाराणसी मार्ग पर चलाई गई थी। (जागरण फाइल फोटो)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। 'मेक इन इंडिया' संकल्प का विस्तार करने के लिए, वंदे भारत ट्रेनों को निर्यात के लिए अपडेट किया जा रहा है। गति और सुविधाओं में सुधार कर यह विश्वस्तरीय बन रहा है। रेलवे की योजना 475 वंदे भारत ट्रेनों को घरेलू जरूरतों के मुताबिक देश में चलाने के बाद निर्यात करने की है। कुछ देशों ने रुचि दिखाई है.
फिलहाल देश में वंदे भारत ट्रेनों की संख्या 34 तक पहुंच गई है. रेलवे अगले तीन वर्षों में वंदे भारत ट्रेनों को यूरोपीय, दक्षिण अमेरिकी और पूर्वी एशियाई देशों में निर्यात करने की योजना बना रहा है। इसलिए हम इसे विश्वस्तरीय बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह फिलहाल देश में ब्रॉड गेज ट्रैक पर चल रही है। रेलवे कंपनी का प्रयास इसे संभावित निर्यातक देश के मानक गेज पर चलने में सक्षम बनाना है।
वंदे भारत के पहले संस्करण की ट्रेन 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली-वाराणसी मार्ग पर चलाई गई थी। तबसे अब तक जितनी ट्रेनें चलाई गई हैं, उनके फीचर को अपडेट करते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किया जा रहा है। पहली ट्रेन की तुलना में 34वीं ट्रेन में कई तरह की सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। रफ्तार भी प्रति घंटा 140 किमी से बढ़ाकर 180 किमी तक कर दी गई है। अब इसे बढ़ाकर 220 किमी प्रति घंटा तक करने की तैयारी है।
ट्रेन के राइडर संकेतक को तीन कर दिया गया है। इससे चलती ट्रेन में झटके कम लगेंगे। आवाज का मानक भी 65 डेसिबल तक ले आया गया है जो विमान की ध्वनि से लगभग सौ गुना कम है। सौ प्रतिशत स्वदेशी तकनीक से निर्मित यह देश की पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन है, जिसमें सुरक्षा के लिए कवच प्रणाली भी लगाई गई है। यात्रियों की प्रतिक्रिया लेकर नई ट्रेनों में नई-नई सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, जो यात्रा को अधिक सुगम बना सकेंगी।
सीटों को अत्यधिक लचीला बनाया जा रहा है। वाश बेसिन को गहरा किया जा रहा है, ताकि बोगियों में पानी न फैले। निर्यात के पहले विश्वस्तरीय बनाने के लिए जापान एवं जर्मनी समेत अन्य देशों की हाई स्पीड ट्रेनों का भी अध्ययन किया जा रहा है। वंदे भारत की वर्तमान ट्रेनों में बैठकर यात्रा की जा रही है। अब करीब दो सौ स्लीपर संस्करण की ट्रेनों की भी तैयारी की जा रही है। इसे दो वर्षों के अंदर पूरा कर लेना है।
रेलवे का कहना है कि 2025-26 तक 475 वंदे भारत ट्रेन चला लेने के बाद निर्यात की तैयारी है। इसलिए घरेलू मांग और निर्यात पर साथ-साथ काम किया जा रहा है।
रेलवे ने वंदे भारत एक्सप्रेस की साफ-सफाई को लेकर भी बड़ा निर्णय लिया है। पूरी ट्रेन को अब 14 मिनट के अंदर साफ कर दिया जाएगा। अभी तक इस कार्य में लगभग तीन से चार घंटे लगते थे। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने ''''स्वच्छता ही सेवा'''' अभियान के तहत ''''14-मिनट में चमत्कार'''' योजना की शुरुआत रविवार को की।
दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर उन्होंने ट्रेन में बैठे यात्रियों को संबोधित करते हुए पीएम के ''''स्वच्छता ही सेवा'''' अभियान का संदेश भी दिया। उनका कहना है कि ट्रेनों की त्वरित सफाई का क्लीन-अप प्रोटोकॉल वंदे भारत से प्रारंभ किया जा रहा है। बाद में अन्य ट्रेनों में भी ऐसी व्यवस्था लागू की जाएगी। जापान में हाई स्पीड बुलेट ट्रेन को मात्र सात मिनट में साफ कर लिया जाता है।