Cash For Query Case कैश फॉर क्वेरी मामले में फंसी महुआ मोइत्रा पर एक बार फिर भाजपा सांसद ने तीखे सवाल पूछे। भाजपा सांसद ने कहा कि भारत सरकार की आईटी पॉलिसी साफ कहती है कि आप अपनी ईमेल आईडी पोर्टल और इंट्रानेट के पासवर्ड को किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते। ऐसा करने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। Cash For Query Case। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कुछ दिनों पहले तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद सवाल पूछने का आरोप लगाया। इस घटना पर जमकर राजनीति हो रही है।
कैश फॉर क्वेरी मामले में फंसी महुआ मोइत्रा पर एक बार फिर भाजपा सांसद ने तीखे सवाल पूछे। निशिकांत दुबे ने X हैंडल पर लिखा,” भारत सरकार की आईटी पॉलिसी साफ कहती है कि आप अपनी ईमेल आईडी, पोर्टल और इंट्रानेट के पासवर्ड को किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते। ऐसा करने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है।”
उन्होंने आगे लिखा,”यह तो 2005 के cash for questions से भी बड़ा मसला है ।पक्ष विपक्ष नहीं देश हित में साथ दीजिए।”
वहीं, उन्होंने इससे पहले एक पोस्ट करते हुए लिखा,”महुआ जी के काफी साक्षात्कार को देखा व पढ़ा। सांसद जिस IT standing committee की सदस्य हैं,उसी को पढ़ लेती IT act 2000 के नियम 43 के अनुसार,कम्प्यूटर,डाटा,सिस्टम में glorified secretary या उनके कर्मचारियों को सिस्टम या password की जानकारी आप सिस्टम के मालिक के अनुमति से दे सकते हैं ।
यहां सिस्टम के मालिक लोकसभा स्पीकर हैं या NIC है,आपने किससे पूछा,यदि नहीं तो राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ के अलावा भ्रष्टाचार में भी 3 साल जेल है। जानकारी के लिए यह संपत्ति संसद की है,यदि हम संसद नहीं है तो यह deposit करना है ।
इस समय संसद की एथिक्स कमेटी टीएमसी सांसद पर लगे आरोपों की जांच कर रही है। सांसद महुआ मोइत्रा पर गिफ्ट और पैसे के बदले संसद में सवाल पूछने का आरोप है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर महुआ पर पैसे लेकर एक बिजनेसमैन के हित से जुड़े सवाल पूछने का आरोप लगाया है।
बता दें कि सांसद मोइत्रा ने इस बात को कबूल किया कि उन्होंने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी को अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया था, लेकिन उन्होंने इसके बदले गिफ्ट लेने वाले आरोप को झूठा बताया है। महुआ ने अपने बचाव में कहा कि मैंने दर्शन से कहा था कि वह अपने कार्यालय से कुछ सहायकों को सवाल पूछने के लिए दें, क्योंकि मेरे पास इतना समय नहीं था कि मैं लिख पाती।
टीएमसी सांसद यह बात भी कह चुकी हैं कि वह व्यस्तता की वजह से 31 अक्टूबर को लोकसभा की एथिक्स कमेटी के सामने पेश नहीं होगी। वह पांच नवंबर को आचार समिति के सामने पेश होंगी।